।। श्री गुरुकृपा ही केवलम्।।

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः |
गुरुःसाक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥

Gurudev-Shree-GuruKripa-Sr-Sec-School

परम पूज्य समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग

संस्थापक एवं संरक्षक
श्री गुरुकृपा  शिक्षण संस्थान

नेर के पलाना ग्राम में 24 नवम्बर 1926 को हुआ। गुरुदेव ने 1968 से गायत्री की आराधना शुरु की और 1 जनवरी 1969 के दिन गुरुदेव को गायत्री (निर्गुण-निराकार) की सिद्धी हो गई। स्वामी विवेकानन्द को पढ़ने के पश्चात् गुरुदेव ने जामसर मेें आराधना कर रहे बाबा श्री गंगाईनाथजी को गुरु धारण कर लिया। जिनकी अहेतुकी कृपा से गुरुदेव को भगवान श्री कृष्ण (सगुण-निराकार) की सिद्धि हो गई। इन दोनों शक्तियो (सगुण व निर्गुण) के कारण से ही गुरुदेव में शक्तिपात मंत्र दीक्षा द्वारा कुण्डलिनी जागरण की सामथ्र्य आ गई । गुरुदेव की फोटो के घ्यान व उनके दिए दिव्य संजीवनी मंत्र के जप से ही कुण्डलिनी शक्ति तत्काल जाग्रत होकर साधक (शिष्य) को योग करवाती है। जिसके प्रभाव से उनका आध्यात्मिक, बोद्धिक, शारीरिक विकास होकर कल्याण होने लगा।

गुरुदेव के ध्यान की विधि – खुली आंखों से 2 मिनट तक सद्गुरुदेव सियाग की फोटो को देखे। मन ही मन गुरुदेव से 15 मिनट अपना ध्यान लगाने की प्रार्थना करे। अब आंखे बन्द करके गुरुदेव की फोटो को दोनों आंखों के मध्य आज्ञा चक्र (जहां तिलक या बिन्दी लगाते है) पर याद करे और साथ ही पूरे 15 मिनट तक बिना होंठ-जीभ हिलाए गुरुदेव के दिव्य संजीवनी मंत्र का मानसिक जप करे। घ्यान करते समय कुण्डलिनी शक्ति के जाग्रत होने से यदि कोई योगिक क्रिया (जैसे शरीर का हिलना, प्राणायाम आदि) हो तो घबराएं नहीं यह योगिक क्रिया 15 मिनट पूरे होते ही स्वतः बन्द हो जायेगी व आंखे खुल जायेगी। इस तरह से सुबह-सायं दोनों समय 15-15 मिनट गुरुदेव की फोटो का ध्यान करते रहे और अपनी किसी भी समस्या के समाधान के लिए गुरुदेव से करुण प्रार्थना करे।

गुरुदेव के ध्यान और मंत्र जप के दिव्य प्रतिफल

  1. सभी असाध्य शारीरिक रोगों (जैसे केंसर, HIV, ब्लड प्रेशर, माईग्रेन, डिप्रेशन) व नशों से पूर्ण मुक्ति।
  2. विद्यार्थियों, युवाओं की स्मरण शक्ति व एकाग्रता में वृद्धि व आलस्य का नाश।
  3. सांसारिक दुःखों (आर्थिक तंगी, बेरोजगारी, गृह क्लेश, निःसन्तानता, आदि) से पूर्ण मुक्ति ।
  4. समर्थ सद्गुरुदेव रामलालजी सियाग की कृपा से राधा तत्व द्वारा जीवन में सभी प्रकार के सुखों से युक्त आनन्दमय जीवन की सहज प्राप्ति तथा कृष्ण तत्व द्वारा ईश्वर का साक्षात्कार व मानव जीवन के चरम लक्ष्य मोक्ष्य की प्राप्ति।

गुरुदेव सियाग की असीम अनुकम्पा और आशीर्वाद से ही यह संस्थान शिक्षा के क्षैत्र में कई वर्षो से सिरमौर बनकर “अतुल्य गुरुकृपा” की सोच को सार्थक बना रहा है।